बाढ़ि-दाही नदी-नालाक किरदानी मिथिलाक वास्तवीक चित्र Mithila Flood baadh विषयक झलक_जगदीश प्रसाद मण्डल

#पोखैरक_सैरात

मार्च मासक तेसर सप्‍ताह। अनुमण्डल कार्यालयक ऑफिस जा गामक पोखैरक सैरातक सम्बन्धमे रमानन्द आवेदन दैत बाजल–
“एते दिन जइ ढंगे भेल, भेल। मुदा आगूक बिनु विचार केने नै होइ?” 
एक तँ ओहिना सरकारियो कार्यालय आ बैंको अदहा मार्चक पछाइत‍‍ बेसी व्यस्त भइये जाइए। व्यस्ततो केना नै हएत, सरकारी मासक आखिरी मास छी, साल भरिक काजक लेखो-जोखा होइए आ ऐगला सालक काजोमे हाथ लगबे करैए। ऑफिसक भीड़ दुआरे आलमारीमे आवेदन रखि, ऑफिससँ आश्वासन भेटल–
“देखल जेतइ।”
ऑफिससँ निकैल‍ रमानन्द अपन संगी सबहक संग आगूक परतीपर बैस‍‍ विचार-विमर्श करैक बैसार केलक। ओना, मार्च रहने गामो-गामक आ सरकारियो काजसँ जुड़ल लोकक भीड़ रहबे करइ। बैसार केकरो हौइ मुदा सार्वजनिक जगहक तँ अपन महत छै, तैसंग ईहो छै जे केकरो बजैक आकि सुनैक अधिकार तँ भइये जाइ छइ। आनक ओइ बैसारमे, सभकेँ सुनै आकि बजैक अधिकार नै होइ छै जे तरपेसकी रहल। मुदा ई तँ सार्वजनिक जगहक बैसार छी तँए सभकेँ अधिकार छइ। ओना, गामसँ रमानन्द पाँचे गोरे, पाँचो शिक्षित बेरोजगार विचारि कऽ पोखैरक सैरातक विरोध करैले पहुँचल छल मुदा एक्के-दुइए आनो-आन ब्‍लौकक आ आनो-आन गामक एक-डेढ़ साए लोक बैसारमे बैस‍ गेल।
अदौसँ मिथिलांचलमे पोखैर‍-इनार जनमैत रहल आ कोसी, कमलाक बाढ़िक कटनियाँमे मरितो रहले अछि। शुरुहेसँ लोकक बीच ई धारना बनले अछि जे पोखैर‍-इनार धर्मकृत भेने दसनामा होइ छइ। भलेँ बेकतीगते किए ने होइ, मुदा तइमे बेवधानो कम नै भेल। पोखैर‍-इनार धर्मकृत होइतो अधर्मक रूपमे उपयोग सेहो होइते आएल अछि। अधर्म ई जे मुँह-दुब्बर सभकेँ पानिक उपयोगसँ रोकल गेल। मुदा मनुखो तँ मनुख छी। कठजीव तँ होइते अछि। केतबो छीना-झपटी हौउ आकि महामारी, तैयो मरलो-हरला पछाइत‍‍ पोनैगिये जाइए। दुनियाँ रहत तँ मनुखो रहबे करत आ मनुख रहत तँ देवा-देवीसँ भूतो-प्रेत रहबे करत।
पैछला सात दिनसँ, जहियासँ सैरातक सूचना भेल, गहमा-गहमी हुअ लगल। अनुमण्डलक जेते पोखैर‍ अछि ओकर बन्दोवस्‍ती हएत। ओना, सभ पोखैर‍ सार्वजनिक नहियेँ अछि मुदा किछु तँ ऐछे। तेकर कारण अछि जे जमीन्‍दारी टुटला पछाइत‍‍ जे पोखैर‍ नीलाम भेल सेहो आ जे जमीन्‍दारक माध्यमसँ वा राजक आदेशसँ खुनौल गेल सेहो, सोलहन्नी तँ नहियेँ मुदा अदहा-छिदहा तँ सरकारी सैरात भेबे कएल। तँए अनुमण्डलक सभ पोखैरक बन्दोबस्त नहियेँ होइ छल मुदा जे सरकारी अधिकारमे अछि ओ तँ होइते आबि रहल अछि। एक तँ ओहुना रौदी-दाहीक प्रभाव पोखैर‍-इनारमे बेसी होइते अछि, तँए बिसवासू उपजा होइ से तँ नहियेँ छल मुदा तैयो थोड़-थाड़ तँ ऐछे।
जखन‍ पोखैरक दुरबेवहार हुअ लगल तखन‍ आम-जनक बीच आक्रोश बढ़ल, जइसँ गामे-गाम विवाद ठाढ़ भेल, जेकर परिणाम भेल जे किछु विवादित पोखैर‍ सरकारी भेल। ओना, गाम-गामक सभ पोखैर‍ सरकारी नहियेँ भेल मुदा पोखैरबला जे दुरबेवहार करै छल से कमल। कमल ई जे अकसरहाँ परिवार अपन पानिक ओरियान कल गड़ा कऽ लेलक। मुदा समस्‍या तैयो रहबे कएल। जखन‍ कि चारि-सँ-आठअना परिवारमे पानिक ओरियान अपनो कल गड़ौने आ किछु सरकारियो माध्यमसँ भेल तथापि समस्‍या तँ ऐछे।
ओना, अनुमण्डलक अदहासँ बेसी गामक पोखैर‍ मरने भऽ गेल। मरना ई भेल जे जहिना कोसीक तहिना कमला धारक कटनियासँ भोथाएल। गामसँ पोखैर‍ हेरा गेल। पोखैरे नै, इनारो हेरा गेल। ओना, इनार हराइक दोसरो कारण भेल। भेल ई जे इनारसँ पानि तँ दुनू हाथे खींच कऽ ऊपर अनैए पड़ै छै जइमे बेसी भीड़ो होइ छै आ डोल-उगहैनक खगता सेहो पड़ै छै, जेकरा कलक हेण्डिल असान बना देलक। मुदा पानि ऊपर अनैमे जहिना असान भेल तहिना कुम्हारक रोजगार सेहो खेलक। ओना, कुम्हारो सभ घैलक बदला डाबा-डुबी बनैबते अछि। नै बनौत तँ जुड़शीतलमे दान कथी‍ लोक करत। अशुद्ध प्लाष्टि‍कक बाल्‍टी करत केना, आ स्‍टीलक महगे छइ। ताम-पीत्तैरक जे करत से ओ आब गाममे अछि आकि पड़ा कऽ बजार चलि गेल।
गाम-गाममे कोसी-कमलाक बाउलक भरैन भेने पोखैर‍-इनार गेल। तेतबे नै! ओना, पोखैरक बदला धार आएल, मुदा गामक माटि तोपेने, उपजाउ भूमि बाउलसँ भरने, गामक सेखीए बदैल‍ देलक। सोलहन्नी तँ नै कहल जा सकैए मुदा चौअन्नी, अठन्नी केतौ-केतौ सोलहन्नियोँ अन-पानि विहीन गाम भऽ गेल। एक गामक कोन बात जे धारक पेटमे पड़ि हजारो गाम बाउल-पानिक तरमे दबा गेल।
उपजाक माटि बलुआएल, पानिक पोखैर‍-इनार गेल आ गाछी-बिरछी, खढ़-खरहोरि सेहो सभ चलि गेल। मुदा जाइक माने ई नै जे उड़ि कऽ मेघमे चलि गेल आकि समुद्रमे डुमि गेल, से नै भेल। जहिना दिन घटलापर मुँह-दुबरा बहु मुँह-गरहाक भौजाइ बनि घरसँ पड़ा जाइ छै तहिना मिथिलांचलक किछु माटियोक संग भेल। तैसंग गाम-गाममे रहनिहारक जमीन आ बहरबैया जमीनबलाक बीच हिस्‍सा–बखराक झंझट‍ सेहो लधाइत रहल। सिकमी, बकास्त, मनखप इत्यादि ढेर रंगक ओझरी गाममे पसरल। पसरबो केना नै करैत एकठाम जँ दू बीघा जमीनक अड़ियाएल टुकड़ी अछि, तँ ओइमे एक बीघाक टुकड़ीक मालगुजारी बीस रूपैआ अछि तहीठाम दोसर टुकड़ी- शिवोत्तर, ब्रह्मोत्तर इत्यादि- मालगुजारी विहीन अछि। माने ओकरा चारि-आठअना रसीदक छपाइ भरि मात्र लगै छइ। जेकरा शेष कहल जाइ छइ।
गामक माटिक ओझरी बढ़ैत-बढ़ैत पानियोँ दिस बढ़ल। धार-धुरक घटवारि बढ़ल, मुदा एके धारक घटवारि एक रंग नै रहल। खुशीक बात ईहो रहल जे धार-धुरक घटवारि बहरबैयाकेँ सेहो हाथ लगल। मन माफित लूट मचौलक। इज्जत-आबरू बेठेकान भऽ गेल। संग-संग काछु-माछक ओझरी सेहो लगल। जइसँ पानिक ओझरी बढ़ल। किछु घाटक सरकारीकरण भेल आ किछु रहिये गेल। माने ई जे एके गामक पानि बँटा गेल। किछु दसनामा भेल किछु खुदनामा। खुदनामा ई जे पोखैर‍ खुनैमे जे खर्च देलिऐ...। खाएर! जे भेल। फेर दोसर मोड़ लेलक, मोड़ ई लेलक जे गाम-गामक दसनामा पोखैरक सोसाइटी बनि गेल जे मछुआ सोसाइटी कहबैए। जे खास जातिक हाथ चलि गेल मुदा ओझरियो बढ़िते गेल। सोसाइटी भेने गामक पानिक हकदार अनगौंआँ भऽ गेल।
गामक पढ़ल-लिखल बेरोजगार दूधक संग दारूक कारोबार कऽ अपन बेरोजगारी भगबए चाहैए। गामक पानिक सदुपयोगक कोनो बेवस्था नहि। पानिक की मोल जिनगीक लेल अछि ओ ढोलक-हरिमुनियाँक सुरे-तान धरि अछि। गाम-गामक चर-चाँचर आ मुइल धार सौंसे इलाका पसरल अछि मुदा उपजा लेल पानि नै! यएह सोचि रमानन्द शारदानन्द, राम विलास, सिंहेश्वर आ जगरनाथ कार्यालयमे आवेदन देबए आएल। ओइमे एकेटा मांग छै–
“गामक पानि किसान हाथ आ गामक रोजगार बेरोजगार हाथ।”
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तिथि : 20 मई 2014, शब्द संख्या : 923 




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