भकमोड़


मनमनियाँ  

औरहा (लौकही, मधुबनी जिला) कथा गोष्ठी (सगर राति दीप जरए)मे ऐगला गोष्ठीक निमंत्रण (निर्मली, सुपौल जिला) पड़ल।

औरहासँ निर्मली गोष्ठीक बीचक जे कथा अछि ओ संकलनमे अछि। औरहामे एक गोरे प्रश्न उठौलैन जे एक्के लिखिनिहारक कथा दू-दू गोरे पढ़ै छैथ। प्रश्न नीक लागल। एते नीक लागल जे जवाब देबे बिसैर गेलौं। नीक ई लागल जे जँ गोष्ठियोक निविते दस-बीसटा कथा लिखा जाए तँ एकरा की कहबै?

औरहा निर्मलीक बीच एकटा भुतहा चौक अछि। रस्ता भकमोड़ छै, तँए संग्रहक नाओं भकमोड़छी।

चलंत गोष्ठीक कथा केहेन हुअए? ई प्रश्न मनमे उठल। समय एहेन विचित्र बनि गेल अछि जे सुचित्र खींचब कठिन भऽ गेल अछि, तँए कथामे एकरूपता नइ अछि। जहिना अनेको एकपेड़िया मिलि बहुपेरिया बनबैए तहिना भऽ गेल अछि। खाएर.., चाहे जे अछि मुदा सभ कथा अपन-अपन परिचए तँ दइए रहल अछि।

दुनू गोष्ठीक (औरहा-निर्मली) बीचक कथा, तहूमे हकरिया कथाक रूपमे लिखल गेल अछि तँए ई संग्रह निर्मली गोष्ठी (कथा मिलन सदाय-सगर राति दीप जरय)केँ सेवामे समरपित...।

साहित्यक (मैथिली साहित्यक) दुर्भाग्य कही आकि सौभाग्य, मुदा रचनाकारक रचित रचना प्रकाशित नै भऽ पाबि रहल अछि, एकरा की कहबै..?

तीन मासक भीतर पोथीक रूप देखि मन खुशी अछि, मुदा खुशीक जड़िमे किछु सहयोगीक भरपूर प्रेरणा रहल, जे प्रेरित करैत रहला, तँए सभकेँ हृदैसँ धन्‍यवाद दइ छिऐन। खास कऽ गजेन्द्रजी (श्री गजेन्द्र ठाकुर) आ उमेशकेँ बेर-बेर धन्‍यवाद।

पोथीक रूप साकार करैमे श्रुति प्रकाशन आ प्रेसक जे संचालक मण्डल छैथ, काजक मूर्त रूप बनबैमे सचमुच सफल मूर्त्तकार छैथ, तँए तहेदिल धैनवादक पात्र छैथ।

-जगदीश प्रसाद मण्डल

बेरमा (मधुबनी)

05 अक्टुबर 2013


 ISBN : 978-93-87675-16-2

 

दाम : 250/- (भा.रू.)

सर्वाधिकार © श्री उमेश मण्डल

तेसर संस्‍करण : 2018  

 

प्रकाशक : पल्लवी प्रकाशन  

तुलसी भवन, जे.एल.नेहरू मार्ग, वार्ड नं. 06, निर्मली

जिला- सुपौल, बिहार : 847452

 

वेबसाइट : http://pallavipublication.blogspot.com

ई-मेल : pallavi.publication.nirmali@gmail.com

मोबाइल : 6200635563; 9931654742  

 

प्रिन्ट : मानव आर्ट, निर्मली (सुपौल)

आवरण : श्रीमती पुनम मण्डल, निर्मली (सुपौल)  बिहार : 847452  

 

BHAKMOR (भकमोड़)

Collection of Maithili Stories by Sh. Jagdish Prasad Mandal  

 

ऐ पोथीक सर्वाधिकार सुरक्षित अछि। प्रकाशक अथवा कॉपीराइट धारकक लिखित अनुमतिक बिना पोथीक कोनो अंशक छाया प्रति एवं रिकॉडिंग सहित इलेक्‍ट्रॉनिक अथवा यांत्रि‍क, कोनो माध्यमसँ अथवा ज्ञानक संग्रहण वा पुनर्प्रयोगक प्रणाली द्वारा कोनो रूपमे पुनरुत्पादित अथवा संचारित-प्रसारित नहि कएल जा सकैत अछि।

 

 

 

 

 

 

 

 

चित्रकार स्व. मिलन सदाय (निर्मली) क स्मृतिमे आयोजित

सगर राति दीप जरयक 87म कथा-साहित्य गोष्ठीमे उपस्थित समस्त साहित्य प्रेमीकेँ सादर समरपित


 


 

 

कथाक सत्तैर

 

मनमनियाँ/09

एक धाप जमीन/11

ओझरी/23

मुसहैन/33

केलवारी/46

स्वरोजगार/58

घूर/69

कनियाँ-पुतरा/82

वारन्ट/92 

गामक मुँह फेर देखब/100


Comments

Popular posts from this blog

सतभैंया पोखैर

उलबा चाउर