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के मानत? (कथाकार श्री जगदीश प्रसाद मण्डल)

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भिनसुरका समय। चाह पीब विचारिये रहल छेलौं जे आइ कोन-कोन हलतलबी काज अछि। पहिने तेकरा पतिआनी लगा मनमे सहिआइर ली , पछाइत जे हएत से हएत। तइ बिच्चेमे पत्नी चारू-पाँचू बेटा-बेटीकेँ फुसला कऽ पनिया लेलैन आ टुसि देलखिन जे आइ शुक्र दिन छी जे तीनू बेरागनमे सभसँ नमहरो आ नीको अछिए , माने शुभ दिन अछि। तँए अदरा पाबैन कइये लेब। अखाढ़ मास आर्द्रा नक्षत्रक समय , तँए एक पनरहिया अदरा पाबैन चलबे करत। भलेँ पियासल धरती पाइनिक अभावमे अपना देहसँ ‘ लू ’ पैदा करैपर किए ने बीर्तमान हुअए...। एक मुहेँ चारू-पाँचो धिया-पुता बाजल- “ बाबू , आइ अदरा पाबैन हएत से आमक ओरियान करू। ” धिया-पुताक बात सुनि मन मनाही करैत विचार देलक जे माइयक समदिया पाँचू छी , तँए चोरकेँ नहि पकैड़ चोरक माइकेँ पकड़ब ने बुधियारी छी , मुदा ऐठाम तँ आगूमे पाँचो धिया-पुता आबि गेल अछि जे दुनू परानीक सझिया छी.. ! ओना , भीतरे-भीतर तामस सेहो उठैत रहए आ खींस सेहो उठिते रहए। मुदा से तामस कखनो धिया-पुतापर उठए तँ कखनो पत्नीपर , तँ कखनो आम आ अदरा पाबैनपर...। कहू ! जे भगवान अपन काज करबे ने केलैन माने बरखा भेबे ने कएल जे जमीन आर्द्र होइत , आ

उकड़ू समय कथा संग्रह लेखक जगदीश प्रसाद मण्डल

उकड़ू समय जगदीश प्रसाद मण्डल   पल्लवी प्रकाशन बेरमा/निर्मली ISBN : 978-93-87675-08-7 दाम : 2 51 / - (भा.रू.) सर्वाधिकार © श्री जगदीश प्रसाद मण्डल पाँचम संस्‍करण : 2018   प्रकाशक : पल्लवी प्रकाशन   तुलसी भवन , जे.एल.नेहरु मार्ग , वार्ड नं. 06, निर्मली जिला- सुपौल , बिहार : 847452 वेबसाइट : http://pallavipublication.blogspot.com ई-मेल : pallavi.publication.nirmali@gmail.com मोबाइल : 6200635563; 9931654742   प्रिन्ट : मानव आर्ट , निर्मली (सुपौल) आवरण : श्रीमती पुनम मण्डल , निर्मली ( सुपौल )   बिहार : 847452   UKROO SAMAY ( उकड़ू समय) Collection of Maithili Stories by Sh. Jagdish Prasad Mandal   ऐ पोथीक सर्वाधिकार सुरक्षित अछि। प्रकाशक अथवा कॉपीराइट धारकक लिखित अनुमतिक बिना पोथीक कोनो अंशक छाया प्रति एवं रिकॉडिंग सहित इलेक्‍ट्रॉनिक अथवा यांत्रि‍क , कोनो माध्यमसँ अथवा ज्ञानक संग्रहण वा पुनर्प्रयोगक प्रणाली द्वारा कोनो रूपम

उमेद (रचनाकार श्री जगदीश प्रसाद मण्डल)

उमेद काल्हि शिक्षा मित्रक बहाली छी। मने-मन साढ़े उनसैठ बर्खक मननाथ चपचपाइत जे जिनगीक उद्धार भऽ गेल। मनमे रंग-रंगक ललिचगर विचार सभ उगैत रहइ। जइसँ जिनगीक अपेक्षा सेहो बढ़ैत रहइ। केतबो छी तँ शिक्षा विभाग छी ने , एते तँ अजादी छइहे जे वहालीमे उमेरक सीमा-सरहद नै छइ। आन विभाग तँ ओहन अछि जे सभ किछु रहितो माने उपयुक्‍त उम्‍मीदवार रहितो काजे ने भेटै छइ। माने नोकरीक उम्र समाप्‍त भेने नोकरीए ने हएत भलेँ काजो रहै आ केनिहारो किए ने रहए। जँ नियमित छबो मास नोकरी भेल आ तेकर पछाइत जँ निवृतो भऽ जाएब तैयो तँ जाबे जीब ताबे पेंशनक उमेद रहबे करत , निचेन भऽ जाएब। निचेनेटा किए हएब , जहिना आमदनी भेने खरचा-बरचासँ निचेन हएब , तहिना सेवा-निवृत्ति शिक्षकक अपन मान-मरजादा सेहो तँ होइते अछि , सेहो तँ भेटबे करत। लोक ई थोड़े बुझत जे चालीस बर्ख पहिलुका पढ़लाहा सभटा बिसैर गेल हेता , ओ कि मने हेतैन। ओ तँ यएह ने बुझत जे चालीस बर्खक अनुभवी शिक्षक छैथ। तहूमे बीसे बर्खमे मनुखक पीढ़ी बदलै छै , पीढ़ी की मनुखक शक्‍लेटा केँ बदलै छै आकि आचार-विचार , बेवहार , चालि-ढालि सभकेँ बदलै छइ। तहूमे तेहेन समय आबि गेल अछि जे चारि-गोर