इज्जतपर पड़ि गेल

..जखन लाल भाइक मैट्रिकक रिजल्ट निकललैन आ जखन अपना काने सुनला तँ सभसँ पहिने हमरा ऐठाम आबि, हमरा सुनौलैन। एहनो सम्भव भइये सकैए जे अपने किछु दिन पहिने स्कूल छोड़ि देने रही तइसँ खाली भेल जीवनक खधियाएल मनकेँ उठबैक विचार रहल होइन। से जे लाल भाइक मनमे रहल होनि मुदा अपना मनमे उठल जे कर्ज खेलहा कर्जदार जहिना कर्जसँ मुक्ति पेबिते अप्पन जानकेँ हल्लुक बुझए लगैए तहिना अपनो मनमे पढ़ाइ छोड़ने खुशीए भेल जे मिसियो भरि दुख नइ भेल। हेबो केना करैत, कियो किसान जन-बोनिहारक माध्यमसँ खेती करबै छैथ तँ जन-बोनिहार दोसराक खेतमे वएह काज करैए जे अपनो जँ खेत रहितै तँ अपना खेतमे काज करैत। खाएर जे जेतए अछि मुदा समाजक बीच बौद्धिक सीमा समटल अछिए। बुझल बात हेबे करत जे अण्डा होउ आकि माछक कुटिया, जहिना अननिहार मने-मन अप्पन हिस्सा पहिनहि जोड़ि लइ छैथ तहिना ने भनसियो अप्पन हिसाब जोड़ि ओही अनुकूल पानि ढारि, मसल्ला मिला अप्पन हिस्सा पुराइये लइ छैथ।

बेर-बेर लाल भाय मनमे आबए लगला। धरमागती पुछी तँ लाल भायकेँ जहलसँ एलाक बात बिसैर गेलौं। बी.ए. ऑनर्स केला-पछातइ दस बरख धरि लाल भाय नोकरी पाछू वौएला मुदा नोकरी नइ भेलैन। नव शासनक शुरूआत देशवासीक बीच अछिए। शासन अपने बेहाल अछि। देखिते छिऐ जे बच्चा सभकेँ भविष्यक बाट देखबैक बदला शिक्षकसभ गामक गाए-महींस, इन्दिरा आवास आ संस्थासभक लेटरीन गनै पाछू रहिते छैथ, तखन बच्चाक भविष्यक बाट केहेन देखौल जाएत। खाएर जे अछि मुदा सभ तँ देश-सेवे भेल।

दस बरख चक्कर काटलाक बाद लाल भाय अप्पन पिताक देल जीवनकेँ अपनौलैन। पिताक देल जीवनक माने भेल, साधनक रूपमे खेत-पथार आ कलाक रूपमे मे, माने काजक लुरिक रूपमे खेतीबारी। ओना, हारल-मारल किसान जकाँ लाल भाय नइ छला, हुनकर मन मानि चुकल रहैन जे खेत ओहन सम्पैत छी जे मनुक्खकेँ मनुक्खक जीवन दइए। नान्हिटा प्रश्न अछि, अप्पन रोपल गाछक खीराक सुआदक आनन्द आ बाजारसँ कीनिकऽ आनल खीराक सुआद की एक्के होइत अछि? ओना, लोक सभरंगक छैथ। कियो खीराकेँ खीरक फल बुझै छैथ आ कियो तीतहा मुँहबला। खाएर जे अछि। पढ़ल-लिखल लाल भाय छथिए तँए मनकेँ बुधि एते सक्कत बनाइये देने छैन जे हमहूँ मनुक्खे छी। आइ पौष्टिक भोजनक चर्च धड़ल्लेसँ चलि रहल अछि मुदा ओ अबै केतएसँ अछि आ एला पछाइत उपलब्ध केना हएत.?

खेतीमे लाल भाय रमि गेला। एकर माने ई नइ बुझब जे रमन्ते योगिनां यस्मिन राम:। अप्पन जीवनानुकूल खेबा-पीबाक सूची तैयार करिते रहैथ कि मनमे फुरलैन- हाइ स्कूलक संगी किसुनलाल छैथ, सभ दिन पढ़ैमे हमरासँ तेजगर रहला तँए नयनधार तेजगर छैन्हे। जहिना पत्नीक आँखिमे जेहेन जीवन धार बहत तेहने ने बाल-बच्चाक जीवन प्रवाहित हएत। अप्पन जीवन ने लाल भाय संग छुटि गेल माने कम पड़ि गेल, मुदा जहियासँ खेतक माटिक अखड़ाहापर उतरला तहियासँ तँ रेन्युअल कएल ड्राइवरीक लाइसेंस जकाँ फेरसँ क्रियाशील भइये गेला अछि। तँए खेती-पथारीक गप-सप्प बुझैले लाल भाय लग बैसिते छी। जहिना अपने लाल भायकेँ जहलसँ एलाक समाचार सुनलौं आ सुनिते भेँट करए विदा भेलौं तहिना लाल भाय सेहो रस्तेमे, ओहिना सजमनिक खेतमे काज करैत मोन पड़ला। हमरे जकाँ सरकारी नोकरीपर जअ-तिल छीटैत, स्वाहा-स्वाहा करैत रहैथ। तही बीच पहुँचलौं। हमरा पहुँचते लाल भाय खेतसँ उठि दरबज्जापर आबि, हाथ-पएर धोइले चापाकलपर गेला। घन्टा-दू-घन्टा हाथ-पएर घोइमे थोड़े लगितैन। तँए ओही अन्दाजसँ बजलौं-

भाय, अहाँ ताबे कल परहक काज करू तैबीच हमहूँ पेशाब केने अबै छी।

जहिना लोअर प्राइमरी स्कूलमे, माने बाल-बोधक विद्यालयमे बच्चा अप्पन जगहपर सँ उठि पाँच मिनट कहैत निकैल जाइए तहिना अपनो निकैल, अन्दाजसँ थोड़े आगू बढ़ि गेलौं। भाय दस मिनट समय ने पाँच मिनटक समयकेँ बनबैत अछि। माटि लागल हाथ-पएर धोइले लाल भाय कलपर गेला से तँ अपनो बुझिते छी जे केते समय लागल। ओही अन्दाजसँ आपस एलौं।

हमरा देखिकऽ आकि लाल भाइक काजक विराम-विसर्जन देखिकऽ सुरूचि भौजी दरबज्जापर पहुँचैसँ पहिनहि चाह नेने आबि गेली। दुनू भाँइ बैसिते चाहक कप हाथमे लेलौं। दू घोंट चाह पीब बजलौं-

कोन कारोबारमे लागल छी, भाय?”

लाल भाय बजला-

मुइलहाक भाँजमे पड़ि गेल छी।

लाल भाइक विचार कोनो भाँजेपर ने चढ़ल जे लाल भाय की बजला।

मुहसँ बकार तँ नइ निकलल मुदा अप्पन मुँह ओहन रूप गढ़िये लेलक जइसँ स्पष्ट सिरखार निखैर गेल। तहीसँ लाल भाय अनुमान लगौलैन जे गौरीशंकर नइ बुझलक। पुन: दोहरबैत लाल भाय बजला-

सजमनिक खेतीमे लागल छी।

खेती की छी, किए करै छी आ किए करए चाहै छी, ईहो तँ प्रश्न अछिए। बजलौं-

अनेरे अहाँ हो-लो-लो मे पड़ि गेल छी, भाय?”

अप्पन मतलब ई छल जे परिवारोक बीच आ सामाजिक बेवहारक बीच सेहो सजमनिक तरकारीक उपयोग समाप्त जकाँ भऽ गेल अछि। ओ समाप्ति ओकर दुर्गुणक चलैत भेल अछि आकि नव परिवेशक दौड़क हो-लो-लो मे भेल अछि?

अखन तक अपने यएह बुझै छी जे सजमनियेँ ओहन तरकारी छी जेकरामे तरकारीक संग फलक रूप सेहो अछि। देखिते छी जे छठिक डालीपर नारिकेलो आ सजमनियोँ संगे-संग रहैए। तैसंग तरकारिये टा किए छी, तीमनो छी आ तीमनेटा किए कहबै, अदौरी वा बदामक दालिक संगे सेहो रमिते अछि। तेतबे किए, सजमनिक तड़ूआ सेहो ओहन होइते अछि जे, की बाल-बोध आ की बुढ़-पुरान, सबहक पसिनगर अछिए। ..लाल भाय बजला-

गौरीशंकर, केकरो मुँह दुसलासँ आकि ओंगरी देखौलासँ केकरो महत् थोड़े कमि जाइए, ओ तँ ओकर गुण-धर्म छी।

अखन तक अपने यएह बुझै छी जे जहिना देवहरिया सभ मंतर पढ़ि-पढ़ि जीवनकेँ सुखी बनबैए, तेकरे सुखी जीवन बुझै छी। तैसंग धर्मोक माने सहो सएह बुझै छी। बजलौं-

से केना, भाय?”

जहिना बहिरा करकरेत साँपक बीख झाड़निहार माने उतारनिहार, एक्के सूरे मंत्रो आ डाकैन सेहो पढ़ए लगै छैथ तहिना लाल भाय बजला-

गौरीशंकर, सजमनि केहेन पोछल-पाछल आ नमगर-मोटगर फल होइए से तँ देखिते छहक।

पैछला सालक छगाएल मन छेलए-हे बजा गेल-

लाल भाय, पैछला साल ठका गेलौं। अधा किलोसँ नमहर एकोटा ने भेल.!

लाल भाइक मनक वेग मनमे तेना प्रवाहित हुअ चाहै छेलैन जे काह-कूह माने खर-पतारकेँ कतबाहि दिस फेकैत प्रवाहित होइ। लाल भाय बजला-

अखन ओकर नमगर-मोटगरक विचार छोड़ह। साए ग्राम खेबाजोग सजमनिमे केते पौष्टिक गुण धर्म छिपल अछि से सुनि लाए। 8.5 मिलीग्राम विटामिन सी- एस्कॉर्बिक एसिड, 0.029 मिलीग्राम विटामिन बी1- थायमिन, 0.022 मिलीग्राम विटामिन बी2- रिबोफ्लेविन, 0.39 मिलीग्राम विटामिन बी3- नियासिन, 0.144 मिलीग्राम विटामिन बी5- पेन्टोथेनिक एसिड, 0.038 मिलीग्राम विटामिन बी6– पिरिडॉक्सिन हाइड्रोक्लोराइड, 04 माइक्रोग्राम विटामिन बी9- फौलेट, 0.25 मिलीग्राम लौह, 24 मिलीग्राम कैल्शियम, 11 मिलीग्राम मैग्नेशियम, 0.066 मिलीग्राम मैगनीज, 2 मिलीग्राम सोडियम, 17 मिलीग्राम पोटेशियम, 13 मिलीग्राम फास्फोरस, 0.70 मिलीग्राम जिंक, 0.6 ग्राम प्रोटिन, 0.02 ग्राम वसा, 3.69 ग्राम कार्वोहाइट्रेट, 1.2 ग्राम रेशा आ 15 कैलोरी उर्जा भेटैए।

सुनैत-सुनैत एकोटा विचार अपना मनमे नइ रहल। एक तँ ओहिना अपनो मन कहैए जे अप्पन मोन राखब पातर अछिए, माने यादास्त शक्ति, तैपर एक-एकटा अंग्रेजी नामकेँ मोन राखबा लेल तँ आरो केता दिन रूद्राक्षक माला जकाँ जप सेहो करए पड़िते अछि। तँए मनमे एकोटा ने रहल। बजलौं-

भाय, सोझे कहियौ ने जे सजमनि गुणगर तरकारी छी।

लाल भाय बुझि गेला जे जखने गुणगर बाजब आकि गौरीशंकर एक धाप आगू बढ़ि बजबे करत जे तखन परिवारोसँ आकि समाजक भोजोसँ किए उठि गेल? अपना देशसँ अगुआएल अमेरिका देश अछि, जैठाम कदीमाक मिठाइ बनैए, जेकरा अपना सभ कोढ़िया तरकारी मानै छी, तैठाम सजमनिक की मोल हएत।
बासभूमि कथा (जगदीश प्रसाद मण्डल) सँ साभार.. 
© लेखक जगदीश प्रसाद मण्डल 


लेखक परिचय- 

 श्री जगदीश प्रसाद मण्डल का जन्म मधुबनी जिले के बेरमा गांव में 5 जुलाई 1947 ईस्वी को हुआ। हिन्दी एवं राजनीति शास्त्र में एम.ए. का अहर्ता पा कर श्री मण्डलजी जीवि‍कोपार्जन हेतु कृषि कार्य में संलग्न होकर रूचि पूर्वक समाज सेवा में लग गए। समाज में व्याप्त रूढ़िवादी एवं सामन्ती व्यवहार, सामाजिक विकास में इनको वाधक महसूस हुआ। फलत: जमीन्दार, सामन्त के साथ गाँव में पुरजोर लड़ाइ खड़ा हो गया। इस तरह संघर्ष और लड़ाई में लगातार लगे रह गए। कह सकते हैं कि इन्होंने समाज सेवा में, केस-मुक्कदमा, जेल यात्रादि में जीवन का अधिकांश समय व्यतीत किए। 2001 ईस्वी के बाद साहित्य लेखन-क्षेत्र में आए। 2008 ईस्वी से विभिन्न पत्र-पत्रिकादि में इनका रचना प्रकाशित होने लगा। गीत, काव्य, नाटक, एकांकी, कथा, उपन्यास इत्यादि साहित्य के मौलिक विधाओ में इनका अनवरत लेखन अद्वितीय सिद्ध हो रहा है। अभी तक दर्जन भर नाटक/एकांकी, पाँच सौ से ऊपर गीत/काव्य, उन्निस उपन्यास और सात सौ पचास कथा-कहानी के साथ कुछ महत्वपूर्ण विषय से सम्बन्धित शोधालेख आदि, सौ से ऊपर ग्रन्थमे प्रकाशित है। 
मिथिला-मैथिली के विकास में श्री जगदीश प्रसाद मण्डल का योगदान अविस्मरणीय है। ये अपना सतत क्रियाशीलता तथा रचना धर्मिता के लिए विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित/पुरस्कृत होते रहे हैं, यथा- विदेह सम्पादक मण्डल द्वारा ‘गामक जिनगी’ लघु कथा संग्रह के लिए ‘विदेह सम्मान- 2011’, ‘गामक जिनगी व समग्र योगदान हेतु साहित्य अकादेमी द्वारा- ‘टैगोर लिटिरेचर एवार्ड- 2011’, मिथिला मैथिलीक उन्नयन के लिए साक्षर दरभंगा द्वारा- ‘वैदेह सम्‍मान- 2012’, विदेह सम्पादक मण्डल द्वारा ‘नै धारैए’ उपन्यास के लिए ‘विदेह बाल साहित्य पुरस्कार- 2014-15’, मिथिला साहित्यमे समग्र योगदान के लिए एस.एन.एस. ग्लोबल सेमिनरी द्वारा ‘कौशिकी साहित्य सम्मान- 2015’, मिथिला-मैथिली के विकास में सतत क्रियाशील रहने के लिए अखिल भारतीय मिथिला संघ द्वारा- ‘वैद्यनाथ मिश्र ‘यात्री’ सम्मान- 2016’, रचना धर्मिताक क्षेत्र में अमूल्य योगदान हेतु ज्योत्स्ना-मण्डल द्वारा- ‘कौमुदी सम्मान- 2017’, मिथिला-मैथिली के साथ अन्य उत्कृष्ट सेवा के लिए अखिल भारतीय मिथिला संघ द्वारा ‘स्व. बाबू साहेव चौधरी सम्मान- 2018’, चेतना समिति, पटना के प्रसिद्ध ‘यात्री चेतना पुरस्कार- 2020’, मैथिली साहित्य में अहर्निश सेवा तथा सृजन के लिए मिथिला सांस्कृतिक समन्वय समिति, गुवाहाटी-असम द्वारा ‘राजकमल चौधरी साहित्य सम्मान- 2020’, भारत सरकार द्वारा ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार- 2021’, साहित्य ओ संस्कृतिमे महत्वपूर्ण अवदान के लिए अमर शहीद रामफल मंडल विचार मंच द्वारा ‘अमर शहीद रामफल मंडल राष्ट्रीय पुरस्कार- 2022’, मिथिलांचल विकास परिषद्, लहेरियासराय, दरभंगा द्वारा ‘यात्री सम्मान- 2022’ तथा साहित्य, संस्कृति, सामाजिक और मिथिलांचल के सर्वांगीण विकास में उल्लेखनीय योगदान हेतु ‘शिखर सम्मान- 2022’ से सम्मानित/पुरस्कृत। 
# रचना-संसार: 1. इन्द्रधनुषी अकास, 2. राति-दिन, 3. तीन जेठ एगारहम माघ, 4. सरिता, 5. गीतांजलि, 6. सुखाएल पोखरि‍क जाइठ, 7. सतबेध, 8. चुनौती, 9. रहसा चौरी, 10. कामधेनु, 11. मन मथन, 12. अकास गंगा - कविता संग्रह। 13. पंचवटी- एकांकी संचयन। 14. मिथिलाक बेटी, 15. कम्प्रोमाइज, 16. झमेलिया बिआह, 17. रत्नाकर डकैत, 18. स्वयंवर- नाटक। 19. मौलाइल गाछक फूल, 20. उत्थान-पतन, 21. जिनगीक जीत, 22. जीवन-मरण, 23. जीवन संघर्ष, 24. नै धाड़ैए, 25. बड़की बहिन, 26. भादवक आठ अन्हार, 27. सधवा-विधवा, 28. ठूठ गाछ, 29. इज्जत गमा इज्जत बँचेलौं, 30. लहसन, 31. पंगु, 32. आमक गाछी, 33. सुचिता, 34. मोड़पर, 35. संकल्प, 36. अन्तिम क्षण, 37. कुण्ठा, 38. सुनयना बेटी- उपन्यास। 39. पयस्विनी- प्रबन्ध-निबन्ध-समालोचना। 40. कल्याणी, 41. सतमाए, 42. समझौता, 43. तामक तमघैल, 44. बीरांगना- एकांकी। 45. तरेगन, 46. बजन्ता-बुझन्ता- बीहैन कथा संग्रह। 47. शंभुदास, 48. रटनी खढ़- दीर्घ कथा संग्रह। 49. गामक जिनगी, 50. अर्द्धांगिनी, 51. सतभैंया पोखैर, 52. गामक शकल-सूरत, 53. अपन मन अपन धन, 54. समरथाइक भूत, 55. अप्‍पन-बीरान, 56. बाल गोपाल, 57. भकमोड़, 58. उलबा चाउर, 59. पतझाड़, 60. गढ़ैनगर हाथ, 61. लजबि‍जी, 62. उकड़ू समय, 63. मधुमाछी, 64. पसेनाक धरम, 65. गुड़ा-खुद्दीक रोटी, 66. फलहार, 67. खसैत गाछ, 68. एगच्छा आमक गाछ, 69. शुभचिन्तक, 70. गाछपर सँ खसला, 71. डभियाएल गाम, 72. गुलेती दास, 73. मुड़ियाएल घर, 74. बीरांगना, 75. स्मृति शेष, 76. बेटीक पैरुख, 77. क्रान्तियोग, 78. त्रिकालदर्शी, 79. पैंतीस साल पछुआ गेलौं, 80. दोहरी हाक, 81. सुभिमानी जिनगी, 82. देखल दिन, 83. गपक पियाहुल लोक, 84. दिवालीक दीप, 85. अप्पन गाम, 86. खिलतोड़ भूमि, 87. चितवनक शिकार, 88. चौरस खेतक चौरस उपज, 89. समयसँ पहिने चेत किसान, 90. भौक, 91. गामक आशा टुटि गेल, 92. पसेनाक मोल, 93. कृषियोग, 94. हारल चेहरा जीतल रूप, 95. रहै जोकर परिवार, 96. कर्ताक रंग कर्मक संग, 97. गामक सूरत बदैल गेल, 98. अन्तिम परीक्षा, 99. घरक खर्च, 100. नीक ठकान ठकेलौं, 101. जीवनक कर्म जीवनक मर्म, 102. संचरण, 103. भरि मन काज, 104. आएल आशा चलि गेल, 105. जीवन दान, 106. अप्पन साती, 107. साहित्यकारक विवेक तथा 108. नब बनक नब फल, 109. सेहन्ता सेहन्ते रहि गेल, 110. बासभूमि- लघु कथा संग्रह। ■

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