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Showing posts from December, 2020

घरक खर्च, कथाकार जगदीश प्रसाद मण्डल

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सात-आठ बर्खसँ रतनेसर काकाकेँ दुनू बापूतक बीच गुमा-गुमी चलैत आबि रहल छैन। आने परिवार जकाँ , जेना समाजक बीच परिवारक रूप-रेखा बनलो अछि बनियोँ तँ रहले अछि। दुनू बापूतक बीच परिवेशक अनुकूलता सोभाविके अछि। तही अनुकूल रतनेसर काका आ जुगुतलालक बीच सेहो चलिये आबि रहल छैन। अपन-अपन विचारो आ परिवेशोक प्रभाव पड़ने दुनू बापूतक बीच गुमा-गुमी सोभाविक प्रक्रिया छीहे। कहब केना छी ? परिवारक संचालन कर्ताक रूपमे रतनेसर काका छैथ जखन कि जुगुतलालकेँ सात-आठ बर्ख कौलेजसँ पढ़ाइ समाप्त केला भेल अछि ? जखन जुगुतलाल हाले-सालमे कौलेजसँ आएल छल तखन जएह जीवन कौलेज अवस्थामे छेलै , माने परिवारसँ निफिकीर जीवन , ओ पढ़ाइ समाप्त केलाक पछातियो जुगुतलालमे ओहिना छल जहिना पढ़ाइक समय छेलइ। रतनेसर काका ऐ ताकमे छला जे नव उमेरक जुगुतलाल अछि तहूमे कौलेजसँ पढ़ि कऽ आएल अछि ओ तँ अपन जीवन अपने निरधारित करैत ने जीवन निरधारण करत आकि हमरा कहलासँ हेतइ। तहूमे देखते छी जे विचार भेद , सम्बन्धक कमीक स्वर आ अधिकार भेद केते उजागर भऽ गेल अछि। सभ अपनाकेँ अठारह बर्ख पुरिते वा चोरा-नुकाकऽ चौदहो-पनरह बर्खक अवस्थाकेँ अठारह बर्ख बना अपन अधिकारकेँ प्रयोग करै...

अन्तिम परीक्षा (जगदीश प्रसाद मण्डल)

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दिवाली पाबैनसँ एक दिन पहिने , सूर्यास्तक समय दरबज्जाक ओसारपर बैसल कमलदेव बाबूक मनमे ऐगला-पैछला सभ विचार तर पड़ि गेलैन आ अखन जे भार एलैन अछि , तइ पाछू अपन जीवन भरिक प्रशासनिक पदक इमानदारी दाँवपर चढ़ि गेल छैन। ..प्रशासनकेँ तीन अंगमे एक अंगक जिनगीक बीच रहलौं , तीत-मीठ देखैत अपन इमान बँचबैत हँसी-खुशीसँ सेवा-निवृति भेलौं , अखनो प्रशासनक सीनियर अफसर मानले जाइ छी। गाम-समाजक लोककेँ मतलबे कोन कमलदेव बाबूसँ रहलैन , एस.डी.ओ. सँ लऽ कऽ कमिश्नर बनि सेवा निवृत्त भेला , गामसँ कोनो मतलब नहि रहलैन। गौंओकेँ हुनकर खगता नहियेँ रहल। अपन कोट-कचहरी छी अपने गेने-एने ने काज हएत , तइले कमलदेव बाबूक खगते किए रहत ..! तही बीच अपराजित , माने कमलदेव बाबूक पत्नी , चाह नेने दरबज्जापर पहुँच , हाथमे चाहक कप धरा देलकैन। अपन विचारमे डुमल कमलदेव बाबू बिनु किछु बजनहि चाहक घोंट लिअ लगला। तैबीच अपराजित अपन चाहक घोंट मारैत बजली- “ कथीक सोगसँ सोगाएल छी ?” अखन तक कमलदेव बाबूक आदत रहलैन जे प्रशासनिक जे विषय रहत , ओ पत्नी तककेँ नहि कहबैन। यएह ने शासक-शासितक बीच दूरी भेल। कमलदेव बाबू बजला- “ अपने देशक सुप्रीम कोर्टमे कृष्ण अय...