श्री जगदीश प्रसाद मण्डलजीक साहित्यमे, लेखनमे, मैथिली साहित्यमे मिथिलाक बाढ़ि, बाइढ़, दाही, कोसी, कमलाक उपद्रव आदिक चित्र-विचार

किसानक देश भारत, जेकर अधार कृषि, जे सालक-साल बाढ़ि-रौदीक चपेटमे पड़ैत रहैए। मुदा बाढ़ि-रौदीक तँ अपन हिसाब छइ। बेसी बरखा भेल तँ बाढ़ि आएल उपज दहा गेल आ रौदी भेल तँ उपज जरि गेल। मुदा दुनूक अपन-अपन बान्हल समय छै, बाँकी तँ बिसवासू समय अछि। तइले किछु ने भेल। किसान आन्‍दोलनसँ पछिमी कोसी नहर बनैक योजना बनल। मुदा केते खेतकेँ नहैरसँ लाभ होइ छै आ केते उपजाउ खेत मारल गेल? खाएर जे भेल से भेल मुदा चुनाव सनक महापर्वकेँ नीक जकाँ सफल करब मरलाही गामक लोकक मनमे जागले अछि। टोले-टोल, जातिये-जाति पंचायत चुनाव लड़ैक क्रममे आबिये गेल अछि। मुदा कोनो उम्मीदवारकेँ मुद्दा नइ भेट रहल छै, जे एक उम्मीदवार दोसरकेँ पछाड़ि केना जीतत। सभ एक रंगाहे एक चलिये...।


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