श्री जगदीश प्रसाद मण्डलजीक साहित्यमे, लेखनमे, मैथिली साहित्यमे मिथिलाक बाढ़ि, बाइढ़, दाही, कोसी, कमलाक उपद्रव आदिक चित्र-विचार
नव पद्धतिक पढ़ाइ एकभग्गू भऽ गेल अछि, जखन कि जीवन काका समग्रतामे बिसवास करै छैथ। मुदा जीवन काकाकेँ अपनो मन उग-डूम तँ करिते छैन जे बेटा ई बात अखन धरि किए ने बुझि पौलक जे भँसि गेल! माए-बाप जीबिते दिशा ने बेटा-बेटीकेँ सिखौत-पढ़ौत आकि जिनगी भरि संगे-संग रहि बेर-बेर सिखबैत रहत। जँ से हेतै तँ जिनगियो आ कालखण्डोक बँटवारा केना हेतइ। की आब किछु कहब उचित हएत? उचित तँ ओही दिन तक होइत जइ दिन काज करैले डेग उठबए लगल। मुदा आब..?
गंभीर प्रश्न जीवन कक्काक आगूमे गंभीर परिस्थिति पैदा कऽ देलकैन। जँ बताह जकाँ बड़बड़ा बेटोकेँ कहबै आ पुतोहुओकेँ कहबैन आकि टोकारा पाबि खिसिया कऽ गाम दिस टहैल समाजोकेँ कहबैन, से उचित हएत? काजक तँ फले काजक पूर्णता छी। ऐठाम तँ ओहूसँ बेसी परिस्थिति चहैक गेल अछि! तेहेन पढ़ाइ-लिखाइ भऽ गेल अछि जे अखन ने मोटगर पाइ देखै छै, मुदा रिटायर करिते अदहा भऽ जाएत, आ बेटा-बेटीक जिनगी तेते भारी भऽ जेतै, जे सम्हारि नै पौत। एहेन परिस्थितिमे कियो माए-बापकेँ आकि बेटा-बेटीकेँ देखत? उगैत सुरुजक दर्शन ने शुभ होइ छै आकि डुमैत सुरूजक! तखन? जेकरा मूस जकाँ बिल खुनैक लूरि नै छै तेकरा-ले दुनियाँ जे हौउ, मुदा जेकरा खुनैक लूरि हेतै ओ सीमा किए टपत? बाढ़ि औतै ऊँचकापर चलि जाएत आ रौदी हेतै तँ नीचका दिस बढ़ि जाएत...।
यएह सोचि जीवन काका चारू कट्ठा खेतकेँ–जे आमक गाछी छल–जेकरा तोड़ि केलवाड़ियो आ तीमनो-तरकारीक चौमास खेत बना लेलैन। खेतोक लीला की कृष्ण लीलासँ कम अछि, रौदी भेने जीरो आ सुभ्यस्त समए भेने हीरो। केतौ तीनियोँ बीघा बीघासँ कम गोबरबैए तँ केतौ बीघा पाँच बर गोबरबैए...।
#कथाअंश 'केलवाड़ी'
#Courtesy_BHAKMOR
Collection of Maithili Stories by Sh. Jagdish Prasad Mandal
गंभीर प्रश्न जीवन कक्काक आगूमे गंभीर परिस्थिति पैदा कऽ देलकैन। जँ बताह जकाँ बड़बड़ा बेटोकेँ कहबै आ पुतोहुओकेँ कहबैन आकि टोकारा पाबि खिसिया कऽ गाम दिस टहैल समाजोकेँ कहबैन, से उचित हएत? काजक तँ फले काजक पूर्णता छी। ऐठाम तँ ओहूसँ बेसी परिस्थिति चहैक गेल अछि! तेहेन पढ़ाइ-लिखाइ भऽ गेल अछि जे अखन ने मोटगर पाइ देखै छै, मुदा रिटायर करिते अदहा भऽ जाएत, आ बेटा-बेटीक जिनगी तेते भारी भऽ जेतै, जे सम्हारि नै पौत। एहेन परिस्थितिमे कियो माए-बापकेँ आकि बेटा-बेटीकेँ देखत? उगैत सुरुजक दर्शन ने शुभ होइ छै आकि डुमैत सुरूजक! तखन? जेकरा मूस जकाँ बिल खुनैक लूरि नै छै तेकरा-ले दुनियाँ जे हौउ, मुदा जेकरा खुनैक लूरि हेतै ओ सीमा किए टपत? बाढ़ि औतै ऊँचकापर चलि जाएत आ रौदी हेतै तँ नीचका दिस बढ़ि जाएत...।
यएह सोचि जीवन काका चारू कट्ठा खेतकेँ–जे आमक गाछी छल–जेकरा तोड़ि केलवाड़ियो आ तीमनो-तरकारीक चौमास खेत बना लेलैन। खेतोक लीला की कृष्ण लीलासँ कम अछि, रौदी भेने जीरो आ सुभ्यस्त समए भेने हीरो। केतौ तीनियोँ बीघा बीघासँ कम गोबरबैए तँ केतौ बीघा पाँच बर गोबरबैए...।
#कथाअंश 'केलवाड़ी'
#Courtesy_BHAKMOR
Collection of Maithili Stories by Sh. Jagdish Prasad Mandal
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