श्री जगदीश प्रसाद मण्डलजीक साहित्यमे, लेखनमे, मैथिली साहित्यमे मिथिलाक बाढ़ि, बाइढ़, दाही, कोसी, कमलाक उपद्रव आदिक चित्र-विचार
#जीवन_संघर्ष
अदौसँ अबैत खेतीमे नव जागरण भेल। हरक जगह ट्रेक्टर, करीनक जगह दमकल-बोरिंगक संग-संग नव-नव औजार किसान तक पहुँचल। नव-नव बीआक अनुसन्धान भेल। कृषिक महत बढ़ने शिक्षाक विकास भेल। उपजा-ले रासायनिक खाद, कीट-नाशक दवाइ इत्यादिक उपयोग शुरू भेल। जइसँ खेतीक उत्पादनमे आश्चर्यजनक वृद्धि भेल। देशक किसानमे नव चेतनाक सिरजन भेल।
मुदा भारत सनक देशमे जेते आ जइ गतिए विकास हेबा चाही से नइ भेल। ओना, जइ राज्यक सरकारोक नजैर आ किसानोक नजैर खेती दिस बढ़ल ओ जरूर विकास प्रक्रियाकेँ पकड़ने रहल। मुदा जइ राज्यमे से नइ भेल ओइ राज्यक कृषि पुन: ठमैक गेल। ओना, मिथिलांचलक संग आरो-आरो संकट छइ। जइ कारणेँ विकास-प्रक्रिया आगू बढ़ैक कोन बात, ठमकैक कोन बात जे पाछुए-मुहेँ ससरए लगल। जेकर कारण छेलै बाढ़िक विभीषिका। एहेन-एहेन पहाड़ी धार सभ अछि जे खाली पानिएसँ नाश नै करैत बल्कि खेतक माटि काटि-काटि नव-नव धारो बनबैत अछि आ उपजाउ माटिकेँ सेहो भँसा-भँसा बाउलसँ भरैए। जइसँ खेतक उर्वराशक्तिये चौपट कऽ दैत अछि। नव धार बनने गामो घर उजैर जाइए। खेत-पथार सेहो नष्ट भऽ जाइए, तँए जरूरी अछि धारक ऐ उपद्रवकेँ नियंत्रित करब। जाधैर से नइ हएत ताधैर बिसवासू खेती मात्र कल्पना बनि रहत।
पचास-साइठ वर्ष पूर्व कोसीक पुलमे फाटक लगा दुनू दिस माने पूवो आ पच्छिमो, नहरक योजना बनल। मुदा अखनो धरि जइ रूपे ओकर उपयोग हेबा चाही से नइ बनि सकल अछि, तेकर अतिरिक्तो सरकारी-उदासीनताक चलैत एहेन बेवस्था बनि गेल अछि जे कोसीए इलाकाक-इलाका दहाइत रहैए।
#_Courtesy_JEEVAN_SANGHARS H_A_Maithili_Novel_by_Sh_J agdish_Prasad_Mandal_लेखन_ वर्ष_2006_9
अदौसँ अबैत खेतीमे नव जागरण भेल। हरक जगह ट्रेक्टर, करीनक जगह दमकल-बोरिंगक संग-संग नव-नव औजार किसान तक पहुँचल। नव-नव बीआक अनुसन्धान भेल। कृषिक महत बढ़ने शिक्षाक विकास भेल। उपजा-ले रासायनिक खाद, कीट-नाशक दवाइ इत्यादिक उपयोग शुरू भेल। जइसँ खेतीक उत्पादनमे आश्चर्यजनक वृद्धि भेल। देशक किसानमे नव चेतनाक सिरजन भेल।
मुदा भारत सनक देशमे जेते आ जइ गतिए विकास हेबा चाही से नइ भेल। ओना, जइ राज्यक सरकारोक नजैर आ किसानोक नजैर खेती दिस बढ़ल ओ जरूर विकास प्रक्रियाकेँ पकड़ने रहल। मुदा जइ राज्यमे से नइ भेल ओइ राज्यक कृषि पुन: ठमैक गेल। ओना, मिथिलांचलक संग आरो-आरो संकट छइ। जइ कारणेँ विकास-प्रक्रिया आगू बढ़ैक कोन बात, ठमकैक कोन बात जे पाछुए-मुहेँ ससरए लगल। जेकर कारण छेलै बाढ़िक विभीषिका। एहेन-एहेन पहाड़ी धार सभ अछि जे खाली पानिएसँ नाश नै करैत बल्कि खेतक माटि काटि-काटि नव-नव धारो बनबैत अछि आ उपजाउ माटिकेँ सेहो भँसा-भँसा बाउलसँ भरैए। जइसँ खेतक उर्वराशक्तिये चौपट कऽ दैत अछि। नव धार बनने गामो घर उजैर जाइए। खेत-पथार सेहो नष्ट भऽ जाइए, तँए जरूरी अछि धारक ऐ उपद्रवकेँ नियंत्रित करब। जाधैर से नइ हएत ताधैर बिसवासू खेती मात्र कल्पना बनि रहत।
पचास-साइठ वर्ष पूर्व कोसीक पुलमे फाटक लगा दुनू दिस माने पूवो आ पच्छिमो, नहरक योजना बनल। मुदा अखनो धरि जइ रूपे ओकर उपयोग हेबा चाही से नइ बनि सकल अछि, तेकर अतिरिक्तो सरकारी-उदासीनताक चलैत एहेन बेवस्था बनि गेल अछि जे कोसीए इलाकाक-इलाका दहाइत रहैए।
#_Courtesy_JEEVAN_SANGHARS
Comments
Post a Comment