CHAKSHU
ISBN : 978-93-88421-82-9
दाम : ` 250/-
सर्वाधिकार © श्री दुर्गा नन्द मण्डल
पहिल संस्करण : 2018
प्रकाशक : पल्लवी प्रकाशन
तुलसी भवन, जे.एल.नेहरू मार्ग
वार्ड नं. 06, निर्मली
जिला- सुपौल, बिहार : 847452
मोबाइल : 9931654742, 6200635563
प्रिन्ट : मानव आर्ट
निर्मली (सुपौल)
बिहार : 847452
आवरण : श्रीमती पुनम
मण्डल
CHAKSHU
Collection of Maithili Research Papers-Essays-Criticism by
Sh. Durga Nand Mandal.
दू शब्द
ओना तँ विधागत दृष्टिये प्रवन्धक पोथी भेबे
कएल। मुदा अपने मात्र परिचय-पोथी बुझै छी। जेकर खगता ऐ दुआरे बुझि पड़ल जे मैथिली
साहित्यमे आइ ओहन-ओहन रचनाकार सभ सोझा एला हेँ, आबि रहला हेँ जे एकान्तमे रहि इमानदारीसँ रचना कऽ रहल छैथ,
बहुजन हिताय केर बात कऽ रहल छैथ।
वास्तवमे, ‘यथार्थपर नजैर राखि लेखन करब’ ई कोनो
भाषा-साहित्य-मध्य रचनाकारक परम कर्त्तव्य होइते अछि। मुदा ओ तखने पूर्ण सम्भव होएत, जखन भाषा-विकासक सरकारी/गैर सरकारी माध्यमक रूढ़ लॉवीसँ दूर रहए, बेकतीगत लाभक चक्करमे नहि रहए...। ऐ लेल एक आर अति महत्वपूर्ण खगता अछि
जे जे रचनाकार जइ पात्रक जेहेन नजैरिक बात करैथ, ओइ पात्रक
संग डेग-मे-डेग मिला जिनगी जीबैक प्रमाण अपन-अपन जिनगीसँ प्रमाणित करैथ। ई नहि जे
अनके कन्हापर बन्दूक राखि भटाभट..!
प्रस्तुत परिचय-प्रवन्ध पोथीमे हम किछु
ओहन रचनाकारक चर्च केलौं अछि जे अपना लेखनमे अनछुअल विषय आ अनछुअल पात्रकेँ सोझा
आनै छैथ। तेतबे नहि, अपन
पात्रक संग बेवहारिक जिनगीमे जीबै छैथ।
संग्रहक प्रकाशन किछु हड़बड़ीमे भऽ रहल
अछि जइ कारणे सुधि पाठकसँ ई खुलासा पहिनहि कए देब नीक बुझै छी जे आरो-आर रचनाकारक
चर्च कएल जा सकैत छल मुदा से अखन नहि भऽ सकल। तथापि, बिसवास अछि जे अपने लोकनिक आशिष पाबि बढ़ल मनोवलक बलेँ जरूर
मनकमना पूरा करब।
अपनेक-
दुर्गानन्द मण्डल
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