HAMAR GAM A Maithili Novel by Dr. Yogendra Pathak Viyogi.

ISBN : 978-93-87675-68-1



दाम : `100/-
सर्वाधिकार सुरक्षित © डॉ. योगेन्द्र पाठक वियोगी
पहिल संस्‍करण : 2018

प्रकाशक : पल्लवी प्रकाशन
तुलसी भवन, जे.एल.नेहरू मार्ग, वार्ड नं. 06, निर्मली, जिला- सुपौल,
बिहार : 847452

वेबसाइट : http://pallavipublication.blogspot.com
मोबाइल : 8539043668, 9931654742

प्रिन्ट : मानव आर्ट, निर्मली (सुपौल)
आवरण : दी साहु प्रिन्टिग प्रेस. निर्मली (सुपौल) पिन : 847452

HAMAR GAM
A Maithili Novel by Dr. Yogendra Pathak Viyogi.

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बेरमा गाममे आयोजित
97म् सगर राति दीप जरय कथा-साहित्य गोष्ठीकेँ 
सेवा समर्पित 



निवेदन
वन्धुवर जगदीश प्रसाद मण्डलक आग्रह जे 24 मार्च 2018 केँ आयोजित ‘सगर राति दीप जरय’ लेल हम एकटा बाल उपन्यास जरूर लीखी जकर विमोचन ओतए कएल जाएत। हम पहिनहि कहि देने छलिएनि जे किछु निजी व्यस्तताक कारण हम एहि आयोजनमे सशरीर उपस्थित नहि भऽ सकब।
बाल उपन्यासक एकटा खाका दिमागमे तैयारो कएल मुदा आकस्मिक चक्रव्यूहमे फँसि गेलासँ ओ तैयार नहि भऽ सकल। मात्र दू दिन बचल छल जखन दोसरे किछु फुरा गेल आ चारि पाँती लीख बैसलहुँ। जे अछि, अपनेक समक्ष अछि। हड़बड़ीक कारण अशुद्धि बेसी हेबे करत, अगिला संस्करणमे ओकरा ठीक कऽ देबै।
अत्यल्प समयमे चि. उमेश मण्डल एकरा पुस्तकाकार बना विमोचन लेल तैयार केलनि ताहि लेल हुनक आभारी छी।

यागेन्द्र पाठक वियोगी
कलकत्ता,
21 मार्च 2018 



प्रस्तावना
हम कोनो पढ़ल लिखल लोक नहि छी, अपितु यदि कहियै जे हमरा गाममे एकटा केँ छोड़ि कियो पढ़ल लिखल नहि अछि तऽ बेसी उचित होएत। घीच-घाँचि कए कहुना दशमा पास केलहुँ आ चल गेलहुँ दिल्ली रोजगारक खोजमे। शुरुएमे बुझा गेल जे एतए अपनाकेँ दशमा पास कहलासँ लाभ नहि नोकसाने अछि तें एहि बातकेँ नुका रखलहुँ आ जे काज हाथमे आएल से धरैत करैत गेलहुँ। अवसर देखैत काज छोड़ैत पकड़ैत कहुना दस साल बाद लगलहुँ टेम्पू चलबए। ताबत गाम दिश सेहो सड़क सब सुधरि रहल छलैक, फोर-लेन बनब शुरू भऽ गेल रहै तऽ सोचलहुँ जे गामे घुरि चली, ओतहि टेम्पू चलाएब। कने कमो कमाइ हैत तऽ बेसिए लागत कारण गाममे कमसँ कम दिल्लीक सड़लाहा बसातसँ त्राण भेटत। कतबो किछु महग होउ, गाममे एखनहु बसात साफे छैक आ फ्री सेहो कारण एखन तक ओहिपर कोनो मालिक हक नहि जतौलक अछि।
हमर नीक कि खराप लति बूझू एतबे जे भोरमे तीन टाकाक एकटा अखबार कीन लैत छी आ टेम्पूपर जखन बैसल रहैत छी तखन ओकरा पढ़ैत रहैत छी। एक दिन एहने अखबारमे पढ़ल जे मिथिलामे नवका चलन एलैक अछि अपना अपना गामक महान विभूतिक वर्णन करैत किताब लिखब। किछु एहने किताब बजारसँ कीन अनलहुँ। देखलहुँ तऽ हर्षो भेल आ इर्ष्यो आ ग्लानि। हर्ष एहि लऽ कए जे पहिल बेर बुझलहुँ मिथिलामे एहन महान विभूति सब भेलाह आ इर्ष्या आ ग्लानि जे हमरा अपन गाममे एहन कोनो विभूति किएक नहि भेलाह। 
सेहन्ता भेल जे हमहूँ अपना गामक बारेमे किछु लीखी। मुदा की लीखब? ककरा बारेमे लिख़ब? लिखबाक लुरियो तऽ नहि भेल। तैयो हम ठानि लेल जे लिखबे करब। किछु बूढ़ पुरानसँ गप कएल। आन गामक विभूति सन तऽ नहि मुदा एतेक जरूर जे हमरा गामक विभूति सब एक हिसाबें विचित्र जरूर छथि आ अपना समयमे गामक नाम कोनो तरहें जगजगार करबे केलनि। ओ लोकनि जे छलाह, जेहन छलाह, भेलाह तऽ मिथिलेक सुपुत्र/सुपुत्री ने। आ हमरो गाम जेहने अछि, अछि तऽ ओही माटिपर कमला बलान कोशीसँ घेराएल, रौदी दाही भोगैत। तें हमरा बुझाएल जे हिनका लोकनिक कीर्तिक वर्णन लीखल जाए। एखुनका युगे विज्ञापन आ प्रचारक छिऐ, से गामक नुकाएल छिड़िआएल रत्न सबकेँ बहार करबाक चाही। हम गौआँ भऽ कए यदि नहि लिखबनि तऽ अनगौआँकेँ कोन मतलब छैक
ओना तऽ लिस्ट पैघ बनि गेल मुदा हम पहिने छाँटि कए मात्र दसटाक वर्णन एतए प्रस्तुत करए जा रहल छी। एहिमे पहिल नौटा छथि हमरा गामक नवरत्न आ दसम भेलाह अतिथि रत्न। आशा करैत छी गौआँ लोकनि हमर एहि प्रयासक प्रशंसा करबे करताह। यदि किछु अनगौआँ मैथिल समाजकेँ हमर गामक एको गोटेक कीर्ति नीक लगलनि तऽ हमर प्रयास खूबे सफल बूझल जाएत। नहि तऽ कमसँ कम किछु लिखित तऽ रहिए जाएत जे एखनुक बूढ़ पुरानक दिवंगत भऽ गेलाक बाद नवका पुस्तकेँ पूर्वजक यशक किछु ज्ञान देतैक। 
हमर लिखल वस्तु सबकेँ मटिकोरबा गामक मिडिल स्कूलक हेडमास्टर साहेब बहुत कटलनि छँटलनि आ शुद्ध केलनि ताहि लेल हुनका बहुत धन्यवाद। बिना हुनकर सहयोग के ई अपने सबकेँ पढ़बा योग्य नहिए भेल रहैत। हम अपना गामक विभूतिक फोटो नहि छापि रहल छी। एकर कारण अपने सब पूरा पुस्तक पढ़लाक बाद बुझिए जेबैक।

विनीत
रामलाल परदेशी
(गामक एक उत्साही युवक)
गाम : खकपतिया
डाकघर : मटिकोरबा
जिला : मधुबनी 



अनुक्रम

1. बीए/12
2. खुरचन ठाकुर/16
3. टहलू दास/18
4. चिलमसोंट भाइ/21
5. नक्कू पहलमान/23
6. पण्डितजी/25
7. लम्बोदर/27
8. नटवर लाल/29
9. झलकी देवी/33
10. राजा-रानी/37 
11. अन्तमे/40

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